एक बार कालू नाम का एक बुद्धिमान किसान था ।. वो अपने खेतों में दिन रात मेहनत करता था।. उसकी मेहनत का फल उसको इस बार बहुत अच्छा मिला था।. उसको इस बार मक्के की बहुत अच्छी फसल हुई थी।. कालू इस बार बहुत उत्साहित था, क्यूंकी इस बार उसे अच्छी फसल की वजह से अधिक धन मिलना था।. अपनी फसल को वो बैल गाड़ी पर रखता है और वो अपनी मक्के की फसल को लेकर वो शहर की तरफ निकाल पड़ता है।. रास्ते में उसे रात पड़ जाती है।. वो एक नजदीक के एक गाँव में जाता है और धर्मशाला का पता करता है।. रात को वो उस धर्मशाला में ठहरता है।. उधर ने गुजरते हुए एक साहूकार की नज़र उस बुद्धिमान किसान के बैलों पर पड़ती है।. वो बैल बहुत सुंदर और हृष्ट पुष्ट थे।.
वो साहूकार उन बैलों को खोल लेता है और अपने घर के ओबरे में बांध देता है।. दूसरे दिन किसान अपने बैलों को ना पाकर बहुत दुखी होता है।. अच्छी तरह से छानबीन करने के बाद उसे बैल मिल जाते हैं।. लेकिन साहूकार उन बैलों को देने से मना कर देता है।. इस बात पर विबाद बहुत अधिक बढ़ जाता है।.
बुद्धिमान किसान और धूर्त साहूकार राजसभा में
दोनों न्याय के लिए राजा के पास चले जाते हैं।. कालू किसान अपना पक्ष रखते हुए सारे बात राजा को बताता है।. फिर वो साहूकार अपना पक्ष रखते हुए कहता है की किसान झूठ बोल रहा है क्यूंकी इन बैलों को मेरे ओबरे ने जन्म दिया है।. यह बात सुनकर किसान बहुत अधिक हैरान होता है।. अब बात सबूत की आती है तो किसान के पास कोई सबूत नहीं होता।. क्यूंकी उस धूर्त साहूकार ने उन बैलों की रस्सी, घंटी, आदि सब कुछ बदल दिया होता है।.
अब सारा मामला उस साहूकार के हक में जा रहा था।. फिर भी राजा ने कुछ सोचते हुए उन्हे कुछ दिनों बाद आने को कहा।. कालू ने कहा तब तक तो उसका सारा अनाज खराब हो जाएगा ।. कालू का सारा अनाज खरीद लिया गया तथा राजकोष से उसको अच्छी कीमत भी दी गयी।.निश्चित दिन पर सभा लगी ।. कालू किसान देरी से पहुंचता है।. जब उससे देरी से आने की वजह पूछी जाती है तो वह बड़े विनम्र भाव से जबाब देता है; क्षमा करें महाराज गेहूं की फसल बोने का समय आ गया था।. मैं उबालकर गेहूं खेतों में वो रहा था इसलिए देरी हो गई।.
यह सुनकर साहूकार कटाक्ष में कहता है , देखिये महाराज यह कितना मूर्ख है ।. जिसको यह भी नहीं पता की उबला हुआ गेहूं बोने से फसल नहीं होती।. मुझे तो लगता है यह किसान ही नहीं है।. इसलिए फैसला मेरे एचक्यू में किया जाए ।.
राजा का फैसला
इसपर कालू किसान फिर हाथ जोड़कर कहता है, क्यूँ नहीं उग सकता महाराज ? यदि ओबरे पशुओं को जन्म दे सकता है तो उबले हुए गेहूं गेहूं की फसल क्यूँ तैयार नही हो सकती।. इस बात पर सभी ताली बजाना शुरू कर देते हैं।. राजा उस बुद्धिमान किसान कालू को बैलों का असली मालिक घोषित करता है और उस साहूकार को झूठ बोलने के जुर्म में सज़ा सुनाता है।. इस प्रकार कालू अपनी बुद्धिमानी से अपने बैलों को प्राप्त कर लेता है।.
शिक्षा :-
दोस्तो हमें इस कहानी से यह सीख मिलती है कि यदि आप अपनी बुद्धि को सही से उपयोग में लाते हैं तो उस बुद्धिमान किसान कि तरह किसी भी समस्या का सामना कर सकते हैं।.