बेवफ़ा की बेवफ़ाई पर शायरी

मोहब्बत की डगर में  वफ़ा और बेवफाई ऐसे पहलू हैं, जो इन्सान क्या से क्या बना सकते है|
यहाँ अगर इन्सान पूरी तरह से टूट भी सकता है तो पूरी तरह से मज़बूत भी हो सकता है|
यह मोहब्बत ही है जो इन्सान की कमजोरी भी है और ताक़त भी है|
बेवफ़ा की बेवफ़ाई पर शायरी ऐसा ही शायरी का संग्रह है जिसमें बेवफ़ा की वेवफ़ाई का ज़िक्र किया गया है |

बेवफ़ा को चाहत है वफ़ा की
उसकी हिम्मत की दाद देता हूँ |
आज बना लेने दे बातें उसको हज़ार
उसकी हर बात का जवाब कुछ दिन बाद देता हूँ ||

उसके दर्द को बयाँ करूँ भी तो कैसे करूँ
वो रखता है ज़ख़्मी दिल फिर भी हँस रहा है
वेवफ़ाई से भी वफ़ा की आदत है उसको शायद
उसी को दूध पिला रहा है जो सांप उसको डस रहा है

वो बेवफ़ा है तो है पर मैंने तो वफ़ा निभाई है
क्या हुआ अगर आज मेरे हिस्से बेवफ़ाई आई है |
उसकी तो फितरत होगी बेवफ़ाई की जो ऐसा किया
अब तो गिला भी किस्से करना क्यूंकि वो तो पराई है ||

जो इतनी मोहब्बत के बाद मेरी नहीं हुई ऐ दोस्त!
तू ही बता किसी वो और की कैसे हो जाएगी ?
क्या हुआ जो दहक रहा है मेरा दिल उसकी बेवफ़ाई पर
करके बेवफ़ाई वो भी चैन से कहाँ सो पाएगी

क्या हुआ जो की उसने वेवफ़ाई
शायद उसकी भी कोई मज़बूरी होगी ||
आज तक तो की है उसने केवल वफ़ा
शायद आज वेवफाई भी ज़रूरी होगी ||

उसकी वेफाई मुझको यह सबक सिखा गई
था जो उसपर अंधा विश्वास आज उसको मिटा गई |
शुक्र है ख़ुदा का हकीकत से जो रू-ब-रू करवा दिया
कितने रंग देखे थे मोहब्बत में वो एक और रंग दिखा गई ||

उसकी वेवफाई में घूँट ज़हर का पिया हमने
खाकर धोखा रुख अपने शहर का किया हमने |
अब तो लगता है जैसे सहर ही हो गई है ज़िंदगी में
अब तक तो जैसे एक सपना जिया था हमने ||

क्यूँ लगाते हो वफ़ा की आस
जब मोहब्बत का सिला वेवफाई है
इसका सबब पूछना है तो पूछो किसी दिलजले से
जिसने अपनी मोहब्बत में सारी दुनिया लुटाई है ||

परवाने ने तो हमेशा शमा पर अपनी जान लुटाई है
चकौर के हिस्से में भी हमेशा चाँद की जुदाई है
पपीहा मरा है हमेशा एक बूँद स्वाती के लिए
ये सब तो हैं वफ़ा वाले ऐ दोस्त!
पर क्या इनको भी वफ़ा मिल पाई है??

वेवफ़ाई भी वहीँ होती है जहाँ वफ़ा भरपूर हो
सनम तो हमेशा रहता है याद चाहे लाखों कोस वो दूर हो
ज़रूरी नहीं के हर शख्स हो वेवफ़ा इस जहान में
शायद वो हमसे दूर जाने को मजबूर हो !!

मैंने तो वफ़ा दिल से हमेशा निभाई है
पर उसको आज तक वफ़ा समझ नहीं आई है |
कसूर उसका भी नहीं है मिला है हमेशा फरेब उसको
तभी शायद उसको मेरी वफ़ा में भी दिखती वेवफाई है ||

होती मंज़ूर हमें मौत भी
गर उसके प्यार में वफ़ा होती
होते हर हाल में वो हमें मंज़ूर
और गहरी मोहब्बत हर दफा होती

क्या बात करूँ मैं अपने हमदम की ऐ दुनिया वालो !
रातों के अंधियारे में उसकी वफ़ा की रौशनाई है |
ऐसा नहीं है के करता हूँ विश्वास आँखें मूँद कर उसपे
पर जब जब भी उसको परखा केवल वफ़ा ही पाई है

वो सितम का सौदागर है और वेवफ़ाई का रहनुमाई है
उसकी तो बात भी मत करो वो तो बेवफ़ा है हरजाई है
उसकी बातों पर यकीन करो तो सोच समझ कर करना
दिखावा है मोहब्बत का वैसे उसका पेशा वेवफाई है

वो चाँद सितारों की बातें करता है हरदम
वो तो मोहब्बत में हुआ पड़ा कायल है
मैं करता हूँ बातें उदासी भरी हमेशा
क्यूँकी मेरा दिल मोहब्बत में घायल है

हमको दुनिया समझने की सौगात दे गया
शुक्र है के उसने हमसे वेवफाई की है
उसकी बदौलत नहीं है तो किसकी बदौलत है
ये जो सच और झूठ को परखने की परख हमने पाई है

याद बन गई गई तेरे मेरे साथ की कहानी
बिना तेरे बड़ी सूनी सी लगती है जिंदगानी
तेरा तो पता नहीं पर मैं तो भूल नहीं पाया हूँ तुझे
तेरी वेवफ़ाई और मेरी वफ़ा बस यही है हमारी कहानी

कैसे बताऊँ के तुझसे खफा हूँ मैं
और तुझे लगता है बेवफ़ा हूँ मैं
बहुत हुआ ये मानने मनाने का खेल
तुझे पाने की चाह में झुका हर दफ़ा हूँ मैं

हर हंसता हुआ चेहरा बेवफ़ा नहीं होता
मोहब्बत में रुसवाई का मतलब ज़फा नहीं होता
ये तेरी मोहब्बत की गहराई नहीं है तो क्या है
इतना टूटने के बाद भी तू वेवफ़ा नहीं होता

तन्हाई भी तेरी याद में तन्हाई नहीं लगती है
रूठना तेरा फिर भी रुसवाई नहीं लगती है
दिए हैं तूने हर कदम पर धोखे पर पता नहीं क्यूँ
तेरी वेवफाई भी वेवफ़ाई नहीं लगती है

उसकी आँखें बता रही हैं कि वो शख्स
पूरा दिन छुप छुप के रोया होगा
तड़पाया होगा उसे भी किसी बेवफ़ा के याद ने
करके याद उसकी ज़फा पूरी रात ना वो सोया होगा

उसके ख्यालों को सलाम करता हूँ
वो खाकर धोखा फिर भी दुआ करता है
लगता है वो है किसी और ही दुनिया से
ऐसा nature तो फरिश्तों का हुआ करता है

वेवफ़ाई की शहर में वफ़ा की नीलामी चल रही है
रूह का कोई इल्म नहीं मोहब्बत जिस्मानी चल रही है
वो जो खा रहे है वफ़ा की कसमें रिझाने के लिए सनम को
ऐसा लग रहा है यहाँ धोखे में भी शैतानी चल रही है

तालियाँ बज रही थीं उसके हुनर पर
पर उसकी निगाहें ढूंढ रही थीं किसी बेवफ़ा को
ये शोहरत जो मिली उसकी वेवफ़ाई से मिली
इसलिए उसकी निगाहें ढूंढ रही थीं उसी वेवफ़ा को

 

सुना है तुझे मोहब्बत हो गई है उस शख्स से
वो शख्स जो मोहब्बत वेशुमार करता है
जाना है मैंने बहुत करीब से वो वेवफ़ा है
रहना ज़रा बचकर उससे वो हमेशा पीठ पर वार करता है

सयाही भी ख़त्म हो गई और कलम भी टूट गई
तेरी वेवफ़ाई की कहानी तो अधूरी ही छूट गई
उसे जादूगरनी कहूं या फिर ठग का नाम दूं
वो कहती थी मुझे अपना और अपना कहकर लूट गई

उसके चेहरे से उसके दिल का हाल वयां नहीं होता
शायद उस शख्स ने वेवफाई की मार को झेला है
कमी है तो है वफ़ा की इस वे मुरौवत दुनिया में
वरना वेवफ़ाई का तो हर कदम पर मेला है

दुनिया को हंसाने वाले को छुप छुप कर रोते हमने देखा है
जो रख देते थी जान क़दमों में उनको पीठ पीछे गैरों के होते देखा है
कहीं किसी की जान चली गई तो कोई सो नहीं पा रहा रातों को
लेकिन उस वे-हया को करके वेवफाई ,मैंने चैन से सोते देखा है

उसकी वेवफ़ाई के मशहूर किस्से अब दो चार हो गए
जिसकी मोहब्बत में नीलाम हम सरे बाज़ार हो गए
खाते थे कसमें वो साथ निभाने की ता उम्र
अब तो झूठे साबित उनके वादे हज़ार हो गए

जितनी की थी मोहब्बत उस संगदिल को
किसी पत्थर दिल को करते तो वो भी हमारा हो जाता
होती हमें भी वफ़ा की उम्मीद अपने हमदम से
शायद हमारा दिल भी रातों को चैन से सो पाता

वो बेवफ़ा नहीं था शायद उसको ज़माने का डर था
पर कैसे समझाएं उसको उसका दिल ही हमारा घर था
देखे थे उसने मुरझाए फूल बहुत से इस वेवफ़ाई के शहर में
उसकी आँखों में झंका था हमने शायद उनको वेवफ़ाई का डर था

 

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R.K.Jaswal

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