
देखता हूँ कमियों को दूसरों की कोई गुण न देख पाऊँ तो कमी मुझमें ही होगी | इस कविता को पूरा पढने के लिए यहाँ क्लिक करें Read more

इंसानों में पाया है हर पत्ते में है सूरत तेरीहर जर्रे में साया है पत्थरों में था ढूँढता तुझ को .............को पूरा पढने के लिए क्लिक करें Read more

हे निरंकार मेरा जीवन कुछ ऐसा हो जाये कर सकूँ मैं भक्ति तेरी , जीबन का उद्हर हो जाये , Read more

करो दुआ मेरे लिए , मुझे बो मुकाम मिल जाए , है जो प्यारा इस निरंकार का बो इन्सान मिल जाए , Read more

सतगुरु ना कुछ मांगता है ना कुछ चाहता है , ये तो बस प्यार सिखाता है बता कर रास्ता गुरसिखी का उस पर चलना सिखाता है , गिरा कर दिबार… Read more

बस ज़रूरत किरदार की है था सब कुछ तेरे पास ऐ इन्सान फिर क्या ज़रूरत थी दीवार की छोड़ कर दामन नेकी का इस बुराई के दीदार की मुझसे कोई… Read more

इतनी सी अरदास है दाता , तूं मालिक मैं दास हूँ दाता , मैं मेरी का भेद मिटादे , दाता अपने चरनी ला दे , Read more

दास (Daas) बनाकर रख लो दाता(data) मैं मेरी का कोई मोल नहीं , तूं पारस है बख्शनहार तेरे दर ते थोड नहीं , मन है मेरा इक उड़ती पतंग जिस… Read more