परिवार – कहानी हर घर की-4
दोस्तो! नमस्कार, परिवार – कहानी हर घर की-4 में सभी का स्वागत है।
परिवार की कहानी में अभी तक आपने पढ़ा कि,
शीला मुश्किलों से किस प्रकार सुरेश को पढ़ाती है।
सुरेश की नौकरी लगती है। उसकी शादी रेखा से हो जाती है।
एक दिन रेखा की मौसी उससे मिलने आती है। उसका व्यवहार कुछ अजीब सा था। उसके जाने के बाद रेखा में बदलाव आने शुरू होते हैं।
एक दिन शीला रेखा को बाज़ार चलने को बोलती है । रेखा मना कर देती है। और अपने लिए क्रीम मंगवाती है।
शीला बाज़ार से सस्ती क्रीम ले आती है। इसके बाद दोनों में कहासुनी हो जाती है।
शाम को जब सुरेश घर आता है तो उसको अंदेशा सा होता है। खाना खाकर सोने अपने अपने कमरे में सोने जाते हैं।
अब आगे
सुरेश रेखा को पूछता है:-
सुरेश:- रेखा! क्या बात है ?मां कुछ मायूस सी लग रही है आज।
रेखा:- कुछ नहीं बस ऐसे ही।
सुरेश :- बताओ तो क्या हुआ?
रेखा:- मैंने मां जी से क्रीम मंगवाई थी। लेकिन वो दूसरी ले आईं। जब मैंने कहा तो नाराज़ हो गई।
सुरेश:- अच्छा ! चलो कोई बात नहीं । आओ मां से बात करते हैं।
रेखा:- लेकिन!!!!
सुरेश:- लेकिन क्या?
रेखा:- में उनसे क्या बात करूंगी?
आप कर लो।
सुरेश:- अरे चलो भी! एक दूसरे से रूठने से बेहतर है बात की जाए।
रेखा:- चलो ठीक है।
रेखा सुरेश के साथ शीला के कमरे की तरफ चल पड़ती है।
सुरेश भी यह सोच कि इस बात को कैसे खत्म करना है।
दोनों शीला के रूम में पहुंचते हैं।
शीला:- क्या हुआ बेटा?
सुरेश:- कुछ नहीं मां। बस आप उदास से थे तो सोचा थोड़ी बातें करते हैं।
शीला:- अच्छा। आ जाओ, बैठो।
सुरेश:- मां क्या हुआ ?
शीला:- कुछ भी तो नहीं।
सुरेश:- तो फिर।
शीला:- अरे नहीं बेटा बस ऐसे ही।
सुरेश:- ठीक है माँ मत बताओ | रेखा तुम बताओ |
शीला:- अरे नहीं नहीं बेटा |
रेखा सुरेश को बात बताने लगती है |
रेखा:- मैंने मां जी से क्रीम मंगवाई थी। लेकिन वो दूसरी ले आईं। जब मैंने कहा तो नाराज़ हो गई।
इसके बाद तो जैसे शीला की सब्र का बाँध टूट ही जाता है |
वो बोलने लगती है
शीला :- अरे रहने दो बहु | मैं बदसूरत हूँ ना , इतना ही काफी है | लेकिन मैं तुम्हारी ख़ूबसूरती खराब नहीं करना चाहती |
इसके बाद शीला सुरेश को पूरी बात बताती है |
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सुरेश शीला को जैसे तैसे चुप करवाता है |
सुरेश :- रेखा! अगर माँ कोई और क्रीम ले भी आई थी तो तुम उसे चाहे ना लगाती | पर मुझे ये बताओ कि तुमने बदसूरत क्यूँ बोला ?
तुमने माँ को ज़लील क्यूँ किया?
और तुम्हे अपने गोर रंग पर इतना घमंड क्यूँ है ?
फिर तुम्हारी नज़र में तो मैं और तुम्हारा मायका परिवार भी बदसूरत हुआ|
देखो रेखा ! ख़ूबसूरती इंसान के चेहरे से नहीं उसके दिल से होती है | और तुम्हारे दिल में इतनी गंदगी भरी है मैंने कभी सोचा भी नहीं |
शीला :- अरे नहीं बेटा! ऐसा नहीं कहते | बहु सबकुछ छोड़ कर हमारे पास आई है |
खबरदार मेरी बहु को कुछ भी ऐसा कहा तो| मैं तो पता नहीं कब तक रहूंगी | लेकिन ऐसा कभी मत करना दोबारा |
तुम दोनों को ज़िन्दगी साथ बितानी है |
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रेखा को अब अपनी गलती का एहसास हो चुका था | बो अब सब कुछ समझ चुकी थी | वो रोते हुए शीला के पैरों में गिर पड़ती है और माफ़ी मांगने लगती है |
रेखा:- माँ मुझे माफ़ कर दो | मैं बहकावे में आ गयी थी |
शीला:- अरे बेटी उठो! ऐसा नहीं करते |
रेखा को उठाकर शीला गले से लगा लेती है |
शीला:- मुझे पता है बेटी ! दुकानदार ने तुम्हारी मौसी के बारे में बताया था आज |
लेकिन तुम हमेशा ध्यान रखना | किसी की बातों में आकर अपना नुक्सान ना कर बैठना |
कहते भी है कि सुनो जन की और करो मन की |
रेखा :- जी मांजी | अब आपको कभी शिकायत का मौक़ा नहीं दूंगी |
और फिर दोनों सास बहु एक दूसरे के गले लगकर रोने लगती हैं |
यह दृश्य देखकर सुरेश की भी आँखें भर आयीं|
रेखा सुरेश से
रेखा:- मैं आपका आभार कैसे व्यक्त करूँ | काश दुनिया की हर लडकी को आपके जैसा पती मिले और मेरी सासुमाँ सी सास | दुनिया में हर परिवार खुशहाल हो जाएगा |
और आपका भी धन्यवाद माँ | आपने इस्न्हे भड़काया होता तो पता नहीं क्या हो जाता | आपने इतना कुछ होने की बाद भी मेरी गलती पर पर्दा डाला और मेरा ही पक्ष लिया |
शीला:- अरे बहु ! सुरेश मेरा बेटा है | किसी के बहकावे में नहीं आता | तभी तो सब ठीक कर दिया |
और तुम भी तो कम नहीं हो | अपनी गलती को मानना बहुत बड़ी बात है| भगवान् तुम्हारे जैसी बहु सबको दे |
अब सब कुछ ठीक हो चुका था | दूरे दिन से सब नार्मल हो गया | रेखा ने वो क्रीम लगाई | वो अच्छी थी | रेखा अब समझ चुकी थी कि हर महंगी चीज़ ही अच्छी हो ये ज़रूरी नहीं |
लेकिन अब रेखा ने समझदारी दिखाई और अपनी मौसी दूर हो गई| वो अब समझ चुकी थी कि मौसी से दूर रहने में ही भलाई है | वरना उसका हंसता वसता संसार उजड़ जाएगा |
इस कहानी के पहले भाग को पढने के लिए यहाँ क्लिक करें :- परिवार -1
तो दोस्तो ! कैसा होगा अगर हर परिवार में शीला जैसी माँ, सुरेश जैसा बेटा और रेखा जैसी बहु होगी तो |
मेरे ख्याल से तो उस परिवार को कोई चाह कर भी नहीं तोड़ पायेगा |
आपको क्या लगता है ? और क्या हो सकता था इस कहानी में ?
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धन्यवाद
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Atti sunder…..
Very well written