हे निरंकार अजब है गजब है तेरी माया (Gajab Hai Teri Maya),
ना तेरा कोई रंग रूप ना तेरी कोई काया ,
अंग संग रहता तू ,फिर भी तुमने अपना आप छुपाया
मुझ में तू ,तुझ में मैं हूँ समाया ,फिर क्यूँ है माया का पर्दा लगाया ?
हे निरंकार …. …. …. …. …. …. …. …. …. …. …. …. …. …. ….
तुझ को जानता हूँ,फिर भी अनजान हूँ , मैं भी कितना नादान हूँ
तुमने भी क्या गज़ब खेल है रचाया ,
हे निरंकार …. …. …. …. …. …. …. …. …. …. …. …. …. …. ….
ध्यान धरा ,दान पुन प्रणाम करा ,जोत भी जलाई ,
लाख बार नाक घिसाई , फिर भी तूं नं दिया दिखाई ,
था अंग संग मेरे तू , पर मैं देख ना पाया ……
हे निरंकार …. …. …. …. …. …. …. …. …. …. …. …. …. …. ….
मैं तो हर जगह भरमाया गया हूँ
तेरे नाम से ठग कर भगाया गया हूँ ,
हजारों नारियल तोड़ तोड़ कर ,
रोज़े उपबास जोड़ जोड़ कर
गया हूँ बहाँ जहाँ जहाँ जिसने भी बताया
हे निरंकार …. …. …. …. …. …. …. …. …. …. …. …. …. …. ….
तुम से मिलने की आस में , भक्ति की प्यास में ,
महापुरषों के साथ ने तेरा ज्ञान है करवाया
इनकी ही कृपा से मैं मेरी रोग मिट है पाया
हे निरंकार …. …. …. …. …. …. …. …. …. …. …. …. …. …. ….
संतो ने कहा भी है ,रंग रूप से न्यारा है
जिसने भी है जाना ,उसका तू ही सहारा है
मिला है उसको जिसने खुदी को है मिटाया
हे निरंकार …. …. …. …. …. …. …. …. …. …. …. …. …. …. ….
अक्ल से तू बाहर है ,हर जगहा हाजिर नाजर है ,
गुरु किरपा से पाओगे ,नहीं तो ढूंडते रह जाओगे
हुआ है इसका वोही, गुरमत पर जो है चल पाया
हे निरंकार Gajab Hai Teri Maya (गजब है तेरी माया)
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