यह ज़िंदगी है मेरे दोस्त इससे मत भागो
बनाओ अपना लक्ष्य जब भी तुम जागो
उठाना तुम और फिर रुकने ना देना अपने क़दमों को ऐसे
बढ़ाना कदम मंजिल की और हो दिखा रेगिस्तान में तालाब जैसे
कब तक यूँ ही बिना किसी लक्ष्य के तुम भटकोगे
बिना लक्ष्य के जीवन जीकर अंत में क्या अपने पैर पटकोगे
आँखों में हो कशिश जीत की हर दिन जब भी तुम जागो
यह … … … … …
उस रात के मंज़र की ख़ूबसूरती अजीब होती है
जिस रात को आँख अपनी मंजिल को पाकर सोती है
खुश रहा करो हर हाल में तुम वरना
ये दुनिया तो रुलाने की फिराक में होती है
रोना मत तुम खुद को खोना मत तुम बस मंजिल की तरफ भागो
यह … … … … …
मत करो भरोसा तुम आँखें बंद कर इन रिश्तों पे
देखा है हमने बहुत जीकर इनके लिए किश्तों पे
अपने मतलब तेरे हैं फिर तू कौन और मैं कौन
होगी जब ज़रूरत तुझे तो हो जायेंगे ये मौन
यही है हकीकत रिश्तों की अब तो तुम जागो
यह … … … … …
रंग हैं इतने इनके कि गिरगिट भी शर्माए
लेकिन देखो इन अपनों को जिनको शर्म ना आए
रंग हैं इतने इनके के गिरगिट के रंग भी कम पड़ जाएँ
लेकिन देखें हँसता तुमको तो मानो दुःख इनपे चढ़ जाएँ
होगा एहसास इन बातों का तब कहोगे इनसे दूर भग्गो
यह … … … … …
पर तुम किसी से डरना मत अपने पथ पर चलते जाना
ये तो हैं अंगारे काम है इनका बस जलते जाना
अपना फैसला लो खुद हमेशा इनके पीछे ना तुम लागो
भूल जाओ तुम सब चीज़ों को केवल मंजिल की तरफ भागो
और करोगे साकार अपने सारे सपनों को जो इक बार तुम जागो
यह … … … … …