तन्हा सा इस भरी महफिल(mehfil) में हूं मैं
तुझे क्या पता किस मुश्किल में हूं मैं
ना जाने क्यूं रौनक के गीत में भी उदासी सी नजर आती है
मोहब्बत के सागर में अपनी रूह प्यासी सी नजर आती है
पपीहे सी हो गई है जिन्दगी मेरी ऐ दिलरुबा तेरी मोहब्बत में
मेरे तो हर एक ख्याल की केवल तेरे तक डगर जाती है
केवल तू स्वाति बूंद ही नहीं मिलती यूं तो, जिस्मों के साहिल में हूं मैं
तन्हा सा इस भरी………….
तुझे तो तेरी जिन्दगी का किनारा मिल गया होगा,
तुझे मालूम मेरा दर्द–ए– दिल क्या होगा,
मेरे दिमाग ने कहा भूल जा उसे, मगर मेरा दिल ही बगावत कर गया
ले आया हर लम्हे को मोड़ कर तेरे तक, लेकर ख्याल दिमाग चाहे जिधर गया
चाहकर भी तुझे भुला नहीं पाता क्या बताऊं बड़ी मुश्किल में हूं मैं
तन्हा सा इस भरी…………
तू नहीं है मेरा फिर भी दिल है तेरा, उम्मीद भी नहीं रखता तुझसे तेरी
दिल ने भी नहीं सोचा लगने से पहले, धड़कन बगावत कर बैठी मुझसे मेरी
अब मतलबी तो हो नहीं सकता मैं जो तुझसे भी मोहब्बत की आस रखूं
कैसे जी रहा हूं तेरे बिना ये जिंदगी मैं सवाल पूछती हैं सांसे मुझसे मेरी
तेरे बिना जिया भी तो नहीं जाता, जी रहा दिल–ए–काहिल में हूं मैं
तन्हा सा इस भरी…………
हो सके तो कर लेना याद इस नाकाम दिलजले को भी
शायद कुछ राहत मिल जाए उलझे सांसों के सिलसिले को भी
मेरे अल्फ़ाज़ नहीं है तेरे जिस्म के प्यासे ये तो दिल से दिल के तार हैं
तू मान या ना मान तेरी मर्जी मगर हम तो तेरे दीवाने मेरे यार हैं
पाक है मेरी मोहब्ब्त ये मैं जानता हूं या खुदा जानता है
इस ज़माने में तो हर कोई मोहब्बत को परिहास मानता है
खुद से खुद को दूर ले जाने में विफल तेरी यादों के साहिल में हूं मैं
तन्हा सा इस भरी………..
It is result of how much you can think deeply. You are perfect. There is a great meaning of each line.
I found really heart touching poem. Great Mr. R.K.Jaswal. Keep it up.