एक शख्स
एक शख्स को ना अपनी खुशियों की फिक्र है
ना अपने गमों से उसे गिला है
खुश रहता है हर हाल में वो साहब
एक शख्स जो कल रात मुझे मिला है।
अपना बनकर दिया किसी ने धोखा उसको
फिर भी मुस्कुराकर कर रहा था माफ़ उसको
कल रात इस बात का हुआ एहसास मुझको
दिल का अमीर और बड़ा जिगर उसे मिला है ।
था ईमान उसका जो वो खुद से ईमानदार था
उससे मेरा मिलना बड़ा ही शानदार था
इंसानियत से मुखातिब ऐसा किरदार मिला है
क्यों नहीं बन पाया मैं ऐसा खुद से मुझे गिला है।
अलग सा नज़रिया दुनिया को देखने का
और उसका अंदाज़ ए बयां भी निराला था
सबने रख लिया बापिस अपने तश्कर में
बातों का तीर जिसने भी निकाला था।
उसकी बातों से तो खुद हैवान भी हिला है।
ना वैर किसी से ना द्वेष किसी से
समदृष्टि का है समावेश इसी से
लगता है ऐसे जैसे कीचड़ में कमल खिला है
दर्द जमाने से इसको हर मरहम के बदले में मिला है
यह भी पढ़ें :-
अपना बनकर
एक शख्स को ना अपनी खुशियों की फिक्र है
ना अपने गमों से उसे गिला है
खुश रहता है हर हाल में वो साहब
एक शख्स जो कल रात मुझे मिला है।
अपना बनकर दिया किसी ने धोखा उसको
फिर भी मुस्कुराकर कर रहा था माफ़ उसको
कल रात इस बात का हुआ एहसास मुझको
दिल का अमीर और बड़ा जिगर उसे मिला है ।
था ईमान उसका जो वो खुद से ईमानदार था
उससे मेरा मिलना बड़ा ही शानदार था
इंसानियत से मुखातिब ऐसा किरदार मिला है
क्यों नहीं बन पाया मैं ऐसा खुद से मुझे गिला है।
अलग सा नज़रिया दुनिया को देखने का
और उसका अंदाज़ ए बयां भी निराला था
सबने रख लिया बापिस अपने तश्कर में
बातों का तीर जिसने भी निकला था।
उसकी बातों से तो खुद हैवान भी हिला है।
ना वैर किसी से ना द्वेष किसी से
समदृष्टि का है समावेश इसी से
लगता है ऐसे जैसे कीचड़ में कमल खिला है
दर्द जमाने से इसको हर मरहम के बदले में मिला है
Awesome Poem. It shows you character. good