रहमत
कर रहमो करम अपना मेरा दिल प्यार से सजा दे तू
चाहता है जैसा कर रहमत वैसा बना दे तू
कहते हैं है भगवान हर जगह इस जगत में पर जानते नहीं
मुझे दिखाया है सबको दिखा दे तू
चाहता है जैसा कर ……………………………………..
हर शह में है नूर तेरा फिर करूँ नफरत किससे ?
कर कृपा हर शह के चरणों में झुका दे तू
चाहता है जैसा कर ……………………………………..
देखा करता हूँ अवगुणों को दूसरों के अपने गुनाहों को देखा नही
कर कृपा मेरे गुनाहों को मुझे दिखा दे तू
चाहता है जैसा कर ……………………………………..
तूने लगाया है गले से ये करम है तेरा वरना मैं इस काबिल नहीं हूँ
कर रहमत काबिल मुझे बना दे तू
चाहता है जैसा कर ……………………………………..
है अन्जान दुनिया इस अदभुत ज्ञान की रौशनाई से
ज्ञान का दीपक हर एक के दिल में जगा दे तू
चाहता है जैसा कर ……………………………………..
मैं मेरी में उलझा हुआ है हर कोई यहाँ, हकीकत से कोसों दूर है
इस मैं मेरी को मिटाकर सच का रास्ता दिखा दे तू
चाहता है जैसा कर ……………………………………..
हर कोई समझे एक दूसरे को कोई किसी के दर्द का मज़ाक ना उड़ाए
इस जहान में मोहब्बत का ऐसा एहसास जागा दे तू
चाहता है जैसा कर ……………………………………..
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