सो सा गया हूँ मैं
जब से देखा है तेरी आँखों को कहीं खो सा गया हूँ मैं
जगता तो बहुत हूँ रातों को पर लगता है जैसे सो सा गया हूँ मैं
तेरी मुस्कराहट मरहम सा लगा देती है दिल के छालों को
चाहकर भी नही दबा पता हूँ दिल के सवालों को
सोचकर तेरे बारे में अपनी ही दुनिया में खो सा गया हूँ मैं
जगता तो बहुत हूँ रातों को पर लगता है जैसे…………………………
चुनरी से ढका हुआ चेहरा और फिर नजरें उठाकर तेरा देख जाना
पता ही नही चला कब कर गया मुझको मुझसे ही बेगाना
फिर लगता है किसी ग़लतफ़हमी खो सा गया हूँ मैं
जगता तो बहुत हूँ रातों को पर लगता है जैसे…………………………
कैसे आते हो याद उस चार दिन के अधूरे साथ के बाद भी
आँखों में रहती है तेरी छवि बनी हुई और दिल में तेरी याद भी
ऐसा लगता है के अनजाने में दीवाना सा हो गया हूँ मैं
जगता तो बहुत हूँ रातों को पर लगता है जैसे…………………………
तेरी चाहत तो होगी कोई और, और मैं तुझसे दिल लगा बैठा
लग रहा है जैसे अपने ही हाथों से अपना आशियाँ जला बैठा
तेरी यादों में न जाने कैसे पगला सा हो गया हूँ मैं
जगता तो बहुत हूँ रातों को पर लगता है जैसे…………………………
तू तो है महलों की राजकुमारी और झोंपरियों का राजकुमार हूँ मैं
तू चाहे दे ले जो भी सजा आखिर तेरा गुनाहगार हूँ मैं
सोचा नही था कभी सपने में भी वो “गुनाहगार” सा हो गया हूँ मैं
जगता तो बहुत हूँ रातों को पर लगता है जैसे…………………………
कैसे समझाए ये “गुनाहगार” अपने आपको के तेरी मंजिल कहीं और है
मैं हूँ प्यार की नदी का ये किनारा तो तेरा दूर कहीं दूसरा छोर है
पर प्यार की इन लहरों से प्यार के समुंदर में कहीं खो सा गया हूँ मैं
जगता तो बहुत हूँ रातों को पर लगता है जैसे…………………………
great
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