मिट्टी में पैदा होता है और मिट्टी में मिट जाता है
दर्द इसके दिल का शायद ही कोई समझ पाता है
हम सबका पेट भरने की जिस शख्स के हाथों में कमान है
जी हां बो कोई और नहीं बो तो एक किसान है।
दो रोटी की कीमत का मोल पूछो जरा इससे
चिन्तन करके देखो करती है प्यार धरा किससे
मेहनत का फल पूरा जो इसको मिल पाता
कोई किसान गले में फंदा क्यों भला लटकाता?
फिर भी हम सबका पेट भरना जिसका ईमान है…
ना कोई छुट्टी ना ही इसके लिए कोई दिन इतवार है
खेत ही इसकी कर्मभूमी और खेत ही परिवार है
खुद के बच्चे तो से जाते है भूखे इसके साहब!
ऐसा पूरी दुनिया का पालनहार ये इन्सान है…..
जिम है खेत इसका कुदाल तो पुश अप के समान है
खेत में हल चलाकर हुआ मजबूत इसका हाथ हथौड़े समान है
महान है जो गुस्से को पी रहा है, घुट घुट के ये बेचारा जी रहा है
क्यों छीन रहे इसका जीवन जो देता सबको जीवनदान है
सोचता हूं कैसे इसके चेहरे पर मुस्कान आएगी
क्या इसका दर्द कभी ये दुनिया जान पाएगी?
कैसे समझाऊं के इसको तड़पाना तो सच में महापाप है
जसवाल के लिए तो इसका दर्द सीने में नश्तर के समान है
Nice
Nice post!
Looking forward to see more. Thanks
Nice post