गिला करें भी तो क्या करें उनसे जब
उनको हमसे प्यार बेशुमार ही नहीं था
हम भी दूर न जाते उनसे तो और क्या करते
जब उनको मुझ पर ऐतवार ही नहीं था
हम थे उनके पीछे पागल यूं ही जिस कदर
परवाना शमा के लिए पागल हुआ करता है
शमा का तो काम ही है जलाना यह जानकर भी
परवाना शमा के लिए खाक हुआ करता है
अजब खेल देखा है मोहब्बत का मैंने यारो
एक ने लुटा दी जान और दूसरी तरफ तो इकरार भी नहीं था
हम भी दूर न जाते उनसे तो और क्या करते
जब उनको मुझ पर……
हम रहकर खुद अंधेरे में उसके लिए दीपक जला रहे थे
मगर उनकी सोच देखो यारो कहते हैं हम जशन मना रहे थे
उनकी सोच पर तरस ही आ गया मुझे जब हुआ यह हादसा
वो थे तो मेरे कसूरवार मगर मुझको ही सुना रहे थे
अब गलती उनकी कहे भी तो कैसे कहें जब उनका
दिल हमारी मोहब्बत में बीमार ही नहीं था
हम भी दूर न जाते उनसे तो और क्या करते
जब उनको मुझ पर……
उसकी मोहब्बत का तो अफसाना सा लगता है
अपना नहीं है कोई हर कोई बेगाना सा लगता है
वह बनकर शमा मुझे हर पल जलाती रही ए दोस्त
मुझको तो अपना किरदार परवाना सा लगता है
उनकी मोहब्बत ज्यादा दिन टिकती तो कैसे टिकती
जब उसको मोहब्बत का खुमार ही नहीं था
हम भी दूर न जाते उनसे तो और क्या करते
जब उनको मुझ पर……
मोहब्बत की फसल मुमकिन कहां इस दिल की जमीन पर
ये तो बंजर है क्योंकि यहां तो बस गमों का तेजाब बरसता है
सारी दुनिया लगा दो दाव पर फिर भी न मिले मोहब्बत
किसने कह दिया के दिलों का सौदा इतना सस्ता है
और उसने ठुकरा दिया इस अनमोल सौगात भी
ये दिलों का सौदा था साहब कोई जिस्मों का व्यापार नहीं था
हम भी दूर न जाते उनसे तो और क्या करते
जब उनको मुझ पर……
ऐतवार नहीं होता
हर छुट्टी बाला दिन ऐतवार नहीं होता
हर मुस्कराहट का मतलब इकरार नही होता
इस दिल को सम्भालकर रखना ऐ दोस्त क्यूंकि
यहाँ हर कोई दिलदार नही होता
हो सके तो रहना संभलकर इस वे मुरोवत दुनिया में
क्यूंकि हर किसी को सच्चा प्यार नही होता
और टूटे जो दिल किसी का मोहब्बत में तो
वो शख्स मौत से पहले कभी नही सोता
चाहता है हर कोई अपने आशियाँ में फूलों का बगीचा
जानबूझकर कोई खुद की जिंदगी में ख़ार नही बोता
होता अगर ये प्यार सोच समझकर ऐ दोस्त तो
शायद कोई यहाँ इश्क़ में बीमार ना होता
कहते हैं जहाँ ना पहुंचे रवि वहां पहुंचे कवि तो क्यूँ
किसी शायर से प्यार का इज़हार नही होता ?
अगर हो पाता ये सब इतनी आसानी से तो फिर
दीपक तले कभी अन्धकार नही होता
ये भी एक सच है जिंदगी का ऐ दोस्त के
अगर वो ना होती तो प्यार ना होता
आईना कभी ना बिखरता टूट कर ऐ नादाँ
अगर उसपर पत्थर से कभी वार नही होता
Thoda acha lga jyada nhi bol skti
mujhe to bahut acha laga. shayad aapko lekhak ke shabdon kee gehraai nhi pta chal paa rhi hai.
bahut khoob likha hai jnab
kaafi ghehri soch hai
nice poetry. i agree with you